रसायन विज्ञान - शब्दावली (Chemistry-Glossary)
अम्ल वर्षा (Acid Rain) - यह मुख्यतः वायुमण्डलीय SO2 से H2SO4 बनाने तथा NO2 से NSO3 बनाने और इन अम्लों के वर्षा के पानी में घुलकर पृथ्वी पर बरसने के कारण होती है।
अपररूपता (Allotropy) - कोई तत्व एक से अधिक रूपों में विद्यमान रहे, जिनके भौतिक गुण भिन्न-भिन्न हों किन्तु रासायनिक गुण समान हों, जैसे कार्बन के अपररूप हीरा तथा कोयला हैं।
मिश्र धातु (Alloy) - धातुओं या धातु और अधातुओं के सरल मिश्रण और ठोस विलयनों को, जिनमें धात्विक गुण होते हैं, मिश्रधातु कहते हैं।
अमलगम (Amalgam) - मरकरी का अन्य धातुओं के साथ मिश्रधातु सिल्वर अमलगम दांतों की कैविटी भरने में काम आता है।
ऐरोमैटिक यौगिक- वे यौगिक जिनमें 6 कार्बन परमाणु जुड़कर चक्र बनाते हैं। ये कार्बन परमाणु एकान्तर स्थिति में तीन एकल बन्ध के साथ और तीन द्विबन्ध के साथ जुड़े रहते हैं।
एरोसोल- किसी गैस में द्रव या ठोस कणों का परिक्षेपण एरोसोल कहलाता है। जब परिक्षेपित कण ठोस होता है तो एरोसोल को धुंआ कहते हैं। जब परिक्षेपित पदार्थ द्रव होता है तो उसे कोहरा कहते हैं। अतः धुआ = गैस + ठोस कण| कोहरा = गैस + द्रव कण
ऐवोगैड्रो परिकल्पना (Avogadro Hypothesis) - समान ताप तथा दाब पर सभी गैसों के समान आयतन में अणुओं की संख्या समान होती है।
बैकिंग चूर्ण (Baking Powder) - सोडियम बाइकार्बोनेट, स्टार्च, क्रीम ऑफ टार्टर एवं सोडियम अमोनियम सल्फेट का मिश्रण, जो बेकिंग में काम आता है।
बेंजैल्डिहाइड (Benzaldehyde) - कड़वे बादाम का तेल जो रंजक, सुगन्ध बनाने में प्रयुक्त होता है।
बेन्जीन (Benzene) - कोलतार के प्रभाजी आसवन से प्राप्त रंगहीन द्रव, जिसका उपयोग विलायक के रूप में किया जाता है।
(भोपाल गैस त्रासदी)- भोपाल में 2-12-1984 की रात्रि को एक भयंकर गैस दुर्घटना हुई, जिसमें यूनियन कार्बाइड लिमिटेड के संयन्त्र के टैंक से अत्यन्त प्राणघातक गैस, मेथिल आइसोसायनेट रिसकर घने बादल के रूप में भोपाल के ऊपर फैल गई। इस संयन्त्र में MIC एक उपयोग कार्बारिल नामक कीटनाशी के उत्पादन के लिए किया जाता था। इस कीटनाशी का व्यापारिक नाम सेबिन था।
विरंजक चूर्ण (Bleaching Powder) - कैल्सियम ऑक्सीक्लोराइड, जिसका उपयोग विरंजन में किया जाता है।
क्वथनांक (Boiling Point) - वह ताप, जिस पर किसी द्रव का वाष्प दाब, वायुमण्डलीय दाब 760 मिमी के बराबर हो जाए, उस द्रव का क्वथनांक कहलाता है।
केसीन (Casein) - दूध में पायी जाने वाली प्रोटीन।
सीमेण्ट (Cement) - सिलिका, लाइम, एल्युमिना, आयरन ऑक्साइड तथा मैग्नीशियम से बना पदार्थ।
सिरैमिक - मिट्टी या अन्य अधातु खनिजों को पकाकर/जलाकर बनाया गया पदार्थ, जैसे-पॉटरी, टाइल्स, ईंट आदि।
कैल्सियम कार्बोनेट- श्वेत यौगिक, CaCO3 जो चुने के पत्थर तथा संगमरमर में पाया जाता है एवं इसका उपयोग चूना बनाने में होता है।
कैलोरी-1 ग्राम जल का ताप 14.5°C से 15.5°C तक बढ़ाने में जितनी ऊष्मा की आवश्यकता होती है, उसे 1 कलौरी कहते हैं। इसे 15°C केलोरी भी कहते हैं।
कार्बोहाइड्रेट- पॉलीहाइड्रॉक्सी ऐल्डिहाइड या कीटोन।
कार्बन- यह वर्ग IV का अधातु तत्व है। हीरा तथा ग्रेफाइट इसके अपररूप हैं।
कार्बन मोनोऑक्साइड- रंगहीन, गन्धहीन तथा अत्यन्त विषैली गैस, जो रक्त के हीमोग्लोबिन के साथ कार्बोक्सी हीमोग्लोबिन बनाकर मनुष्य की मृत्यु भी कर सकती है। इसी गैस के कारण बन्द कमरे में कोयले की अंगीठी जलाकर सोने पर मृत्यु भी हो सकती है।
उत्प्रेरण- किसी पदार्थ की उपस्थिति से यदि किसी रासायनिक अभिक्रिया की दर परिवर्तित हो जाती है, परन्तु पदार्थ स्वयं अभिक्रिया के अन्त में रासायनिक रूप से अपरिवर्तित रहता है तो इसे उत्प्रेरण कहते हैं।
उत्प्रेरक- जो पदार्थ किसी रासायनिक अभिक्रिया की दर को परिवर्तित कर देता है, परन्तु स्वयं अभिक्रिया के अन्त में रासायनिक रूप में अपरिवर्तित रहता है, उसे उत्प्रेरक कहते हैं।
क्लोरेफॉर्म- रंगहीन भारी द्रव CHCl3, जिसकी वाष्प सूंघने पर सामान्य निश्चेतना आ जाती है।
रासायनिक युद्ध- सैनिक कार्यों के लिए, रासायनिक अभिकर्मकों का प्रयोग जो जलन उत्पन्न करते हैं, दम घोंटकर अथवा विषैली गैसों द्वारा शत्रु पक्ष का हताहत करते हैं।
क्लोरोफ्लोरो कार्बन- CFCs ही वायुमण्डलीय ओजोन परत के क्षरण का मुख्य कारण है। ये यौगिक फ्रीऑन भी कहलाते हैं। एक रोचक तथ्य यह है कि अंटार्कटिका के ऊपर ओजोन परत का क्षरण सितम्बर के प्रारम्भ से अक्टूबर के अन्त तक होता है तथा इसके पश्चात् नवम्बर-दिसम्बर में ओजोन परत की पुनः पूर्ति हो जाती है।
साइट्रिक अम्ल- सिट्रस फलों का अम्ल, जो नीबू तथा सन्तरों में उपस्थित होता है।
स्कन्दन- द्रव-विरोधी कोलॉइडी विलयन में विद्युत्-अपघट्य की थोड़ी-सी मात्रा मिलाने पर कोलॉइडी कणों का अवक्षेपित होना, स्कन्दन कहलाता है।
कोल गैस- वायु की अनुपस्थिति में कोल के भंजक आसवन से प्राप्त गैस, जिसका उपयोग ईंधन के रूप में किया जाता है।
कोलतार- काला, गाढ़ा द्रव जो कोल के भंजक आसवन से प्राप्त होता है।
कोलॉइड- इस प्रकार के घोल में कणों के आकार 10-7 से 10-5 सेंटीमीटर तक होता है। जीवद्रव्य भी एक कोलॉइड है।
आयनेमाइड- रंगहीन क्रिस्टलीय अस्थायी यौगिक, जो उर्वरक के निर्माण में उपयोगी है।
डीडीटी- डाइक्लोरो डाइफेनिल ट्राइक्लोरो एथेन। एक रंगहीन चूर्ण, जो प्रबल कीटनाशक है।
निथारना- नीचे बैठे ठोस पदार्थ को छोड़कर ऊपर के स्वच्छ द्रव पृथक् करना।
विघटन- पदार्थ के एक घटक का तत्वों में अपघटन।
अपमार्जक- ऐलिफैटिक या ऐरोमैटिक सल्फेनिक अम्ल के सोडियम लवण, जिनमें साबुन की तरह मैल साफ करने का गुण होता है।
अपोहन- पार्चमेन्ट झिल्ली द्वारा कोलॉइडी विलयन से उसमें उपस्थित घुले हुए अशुद्ध पदार्थों को निष्कासित करना।
हीरा- शुद्ध कार्बन का कठोरतम अपररूप। इसका उपयोग कांच को काटने में किया जाता है।
अक्रिय गैसें- समूह 18 के अक्रिय गैसीय तत्व-हीलियम, निऑन, आर्गन, क्रिप्टॉन,जीनॉन तथा रैडॉन।
अगलनीय- पदार्थ जो कठिनाई से द्रवित हों।
अकाबनिक रसायन- इसके अन्तर्गत सभी तत्वों और उनके यौगिकों का अध्ययन किया जाता है (कार्बनिक यौगिकों को छोड़कर)।
कीटनाशी- यौगिक जो कीटों को नष्ट करें, जैसे- DDT, BHC आदि।
आयोडीन- ठोस हैलोजेन, जो रखने पर उर्ध्वपातित हो जाती है तथा जिसका उपयेाग पूतिरोधी के रूप में होता है।
समभारी- समान परमाणु द्रव्यमान परन्तु भिन्न परमाणु क्रमांक।
समावयव- जिन यौगिकों के अणुसूत्र समान होते हैं किन्तु गुण एवं संरचना भिन्न-भिन्न होती है।
समन्यूट्रॉनिक- वे परमाण्विक नाभिक, जिनमें न्यूट्रॉनों की संख्या बराबर होती है किन्तु उनकी द्रव्यमान संख्या भिन्न होती है।
समस्थानिक- समान परमाणु क्रमांक परन्तु भिन्न-भिन्न परमाणु द्रव्यमान।
केरोसीन आयल- कोल तथा पेट्रोलियम के प्रभाजी आसवन से प्राप्त होता है, जिसका उपयोग प्रदीपक, स्टोव के इंधन के रूप में होता हैं।
केओलिन- सफ़ेद महीन मिट्टी, जिसे चाइना क्ले व पोर्सेलेन कहा जाता है। यह खनिज केओलिनाइट Al4Si4O10(OH)8 की बनी होती है।
एल एम डी- लाइसर्जिक अम्ल डाइथाइलेमाइड- भ्रम उत्पन्न करने वाली ड्रग।
लैक्टिक अम्ल- खट्टे दूध में उपस्थित तथा लैक्टोस को जीवाणु किण्वन द्वारा प्राप्त।
लैक्टोस- दूध की शर्करा।
द्रव्यमान संरक्षण का नियम- रासायनिक अभिक्रियाओं में पदार्थों का कुल द्रव्यमान अपरिवर्तित रहता है।
ला-शातेलिए का नियम- यदि एक साम्य निकाय के किसी कारक, जैसे- ताप, दाब या सान्द्रण में परिवर्तन किया जाता है तो साम्य उस दिशा में विस्थापित होता है, जिधर उस परिवर्तन का प्रभाव निरस्त होता है।
लिग्नाइट- मृदु काला कोल का रूप।
मैग्नीशया- श्वेत, स्वादहीन चूर्ण, Mg(OH)2 जो आमाशय की अम्लता दूर करता है।
गलनांक- वह ताप जिस पर कोई ठोस पदार्थ द्रव में परिवर्तित हो जाए।
मेन्थोल- पिपरमेण्ट के तेल से प्राप्त।
मरकरी- चमकदार द्रव धातु।
मरकरी वाष्प लैम्प- एक गैस विसर्जन लैम्प जिसमें एक निर्वातित कांच की नली होती है। इसमें कुछ मरकरी होता है जो वाष्पित होकर विद्युत् विसर्जन में तीव्र प्रकाश देता है।
धातु प्रदूषक- कुछ भारी धातुएं जल में घुलकर उसे प्रदूषित करती हैं, जैसे- कैडमियम, लैड तथा मरकरी। Cd तथा Hg गुर्दों को नष्ट कर देते हैं। लैड गुर्दों, जिगर, मस्तिष्क तथा केन्द्रीय तन्त्रिका तन्त्र को प्रभावित करते हैं।
उपधातु- तत्वों का एक समूह जिनके गुणधर्म, धातुओं तथा अधातुओं के मध्य होते हैं। ये अर्धधातु तथा अर्धचालक होते हैं।
धातुकर्म- अयस्क से धातु प्राप्त करने में प्रयुक्त विभिन्न प्रक्रमों को सामूहिक रूप से धातुकर्म कहते हैं।
दूधिया चूना- जल में कैल्शियम हाइड्रॉक्साइड या जलयोजित चूने का निलम्बन।
दूधिया सल्फर- एक रंगहीन, गन्धहीन, हल्का अक्रिस्टलीय चूर्ण।
खनिज- धातु तथा उनके यौगिक पृथ्वी में जिस रूप में मिलते हैं, खनिज कहलाते हैं।
मिश्र धातु- एक स्वत: ज्वलनशील मिश्रधातु, जो सीरियम, आयरन, लैन्थेनम, नीऑडिमियम तथा अन्य विरल मृदा धातुओं से बनाई जाती है।
मोल– किसी पदार्थ की मात्रा, जिसमें उसके 6.02213× 10^23 कण उपस्थित होते हैं, पदार्थ का एक मोल कहलाती है।
अणु- किसी पदार्थ (तत्व या यौगिक) के सूक्ष्मतम कण, जो मुक्त अवस्था में रह सकते हैं तथा जिनमें उस पदार्थ के सभी गुण उपस्थित होते हैं, अणु कहलाते हैं।
नैफ्था- पेट्रोलियम, शेल ऑयल या कोलतार से प्राप्त कम अणु भार वाले हाइड्रोकार्बनों का मिश्रण।
नैफ्थेलीन- पॉलीन्यूक्लियर हाइड्रोकार्बन, जिसकी गोलियां कीटों को दूर करने में उपयोगी हैं।
प्राकृतिक गैस- पेट्रोलियम के साथ प्राकृतिक गैस भी उपस्थित होती है, जो पेट्रोलियम के पृष्ठ पर दाब डालती है। इसका उपयोग ईधन के रूप में किया जाता है।
अम्ल वर्षा (Acid Rain) - यह मुख्यतः वायुमण्डलीय SO2 से H2SO4 बनाने तथा NO2 से NSO3 बनाने और इन अम्लों के वर्षा के पानी में घुलकर पृथ्वी पर बरसने के कारण होती है।
अपररूपता (Allotropy) - कोई तत्व एक से अधिक रूपों में विद्यमान रहे, जिनके भौतिक गुण भिन्न-भिन्न हों किन्तु रासायनिक गुण समान हों, जैसे कार्बन के अपररूप हीरा तथा कोयला हैं।
मिश्र धातु (Alloy) - धातुओं या धातु और अधातुओं के सरल मिश्रण और ठोस विलयनों को, जिनमें धात्विक गुण होते हैं, मिश्रधातु कहते हैं।
अमलगम (Amalgam) - मरकरी का अन्य धातुओं के साथ मिश्रधातु सिल्वर अमलगम दांतों की कैविटी भरने में काम आता है।
ऐरोमैटिक यौगिक- वे यौगिक जिनमें 6 कार्बन परमाणु जुड़कर चक्र बनाते हैं। ये कार्बन परमाणु एकान्तर स्थिति में तीन एकल बन्ध के साथ और तीन द्विबन्ध के साथ जुड़े रहते हैं।
एरोसोल- किसी गैस में द्रव या ठोस कणों का परिक्षेपण एरोसोल कहलाता है। जब परिक्षेपित कण ठोस होता है तो एरोसोल को धुंआ कहते हैं। जब परिक्षेपित पदार्थ द्रव होता है तो उसे कोहरा कहते हैं। अतः धुआ = गैस + ठोस कण| कोहरा = गैस + द्रव कण
ऐवोगैड्रो परिकल्पना (Avogadro Hypothesis) - समान ताप तथा दाब पर सभी गैसों के समान आयतन में अणुओं की संख्या समान होती है।
बैकिंग चूर्ण (Baking Powder) - सोडियम बाइकार्बोनेट, स्टार्च, क्रीम ऑफ टार्टर एवं सोडियम अमोनियम सल्फेट का मिश्रण, जो बेकिंग में काम आता है।
बेंजैल्डिहाइड (Benzaldehyde) - कड़वे बादाम का तेल जो रंजक, सुगन्ध बनाने में प्रयुक्त होता है।
बेन्जीन (Benzene) - कोलतार के प्रभाजी आसवन से प्राप्त रंगहीन द्रव, जिसका उपयोग विलायक के रूप में किया जाता है।
(भोपाल गैस त्रासदी)- भोपाल में 2-12-1984 की रात्रि को एक भयंकर गैस दुर्घटना हुई, जिसमें यूनियन कार्बाइड लिमिटेड के संयन्त्र के टैंक से अत्यन्त प्राणघातक गैस, मेथिल आइसोसायनेट रिसकर घने बादल के रूप में भोपाल के ऊपर फैल गई। इस संयन्त्र में MIC एक उपयोग कार्बारिल नामक कीटनाशी के उत्पादन के लिए किया जाता था। इस कीटनाशी का व्यापारिक नाम सेबिन था।
विरंजक चूर्ण (Bleaching Powder) - कैल्सियम ऑक्सीक्लोराइड, जिसका उपयोग विरंजन में किया जाता है।
क्वथनांक (Boiling Point) - वह ताप, जिस पर किसी द्रव का वाष्प दाब, वायुमण्डलीय दाब 760 मिमी के बराबर हो जाए, उस द्रव का क्वथनांक कहलाता है।
केसीन (Casein) - दूध में पायी जाने वाली प्रोटीन।
सीमेण्ट (Cement) - सिलिका, लाइम, एल्युमिना, आयरन ऑक्साइड तथा मैग्नीशियम से बना पदार्थ।
सिरैमिक - मिट्टी या अन्य अधातु खनिजों को पकाकर/जलाकर बनाया गया पदार्थ, जैसे-पॉटरी, टाइल्स, ईंट आदि।
कैल्सियम कार्बोनेट- श्वेत यौगिक, CaCO3 जो चुने के पत्थर तथा संगमरमर में पाया जाता है एवं इसका उपयोग चूना बनाने में होता है।
कैलोरी-1 ग्राम जल का ताप 14.5°C से 15.5°C तक बढ़ाने में जितनी ऊष्मा की आवश्यकता होती है, उसे 1 कलौरी कहते हैं। इसे 15°C केलोरी भी कहते हैं।
कार्बोहाइड्रेट- पॉलीहाइड्रॉक्सी ऐल्डिहाइड या कीटोन।
कार्बन- यह वर्ग IV का अधातु तत्व है। हीरा तथा ग्रेफाइट इसके अपररूप हैं।
कार्बन मोनोऑक्साइड- रंगहीन, गन्धहीन तथा अत्यन्त विषैली गैस, जो रक्त के हीमोग्लोबिन के साथ कार्बोक्सी हीमोग्लोबिन बनाकर मनुष्य की मृत्यु भी कर सकती है। इसी गैस के कारण बन्द कमरे में कोयले की अंगीठी जलाकर सोने पर मृत्यु भी हो सकती है।
उत्प्रेरण- किसी पदार्थ की उपस्थिति से यदि किसी रासायनिक अभिक्रिया की दर परिवर्तित हो जाती है, परन्तु पदार्थ स्वयं अभिक्रिया के अन्त में रासायनिक रूप से अपरिवर्तित रहता है तो इसे उत्प्रेरण कहते हैं।
उत्प्रेरक- जो पदार्थ किसी रासायनिक अभिक्रिया की दर को परिवर्तित कर देता है, परन्तु स्वयं अभिक्रिया के अन्त में रासायनिक रूप में अपरिवर्तित रहता है, उसे उत्प्रेरक कहते हैं।
क्लोरेफॉर्म- रंगहीन भारी द्रव CHCl3, जिसकी वाष्प सूंघने पर सामान्य निश्चेतना आ जाती है।
रासायनिक युद्ध- सैनिक कार्यों के लिए, रासायनिक अभिकर्मकों का प्रयोग जो जलन उत्पन्न करते हैं, दम घोंटकर अथवा विषैली गैसों द्वारा शत्रु पक्ष का हताहत करते हैं।
क्लोरोफ्लोरो कार्बन- CFCs ही वायुमण्डलीय ओजोन परत के क्षरण का मुख्य कारण है। ये यौगिक फ्रीऑन भी कहलाते हैं। एक रोचक तथ्य यह है कि अंटार्कटिका के ऊपर ओजोन परत का क्षरण सितम्बर के प्रारम्भ से अक्टूबर के अन्त तक होता है तथा इसके पश्चात् नवम्बर-दिसम्बर में ओजोन परत की पुनः पूर्ति हो जाती है।
साइट्रिक अम्ल- सिट्रस फलों का अम्ल, जो नीबू तथा सन्तरों में उपस्थित होता है।
स्कन्दन- द्रव-विरोधी कोलॉइडी विलयन में विद्युत्-अपघट्य की थोड़ी-सी मात्रा मिलाने पर कोलॉइडी कणों का अवक्षेपित होना, स्कन्दन कहलाता है।
कोल गैस- वायु की अनुपस्थिति में कोल के भंजक आसवन से प्राप्त गैस, जिसका उपयोग ईंधन के रूप में किया जाता है।
कोलतार- काला, गाढ़ा द्रव जो कोल के भंजक आसवन से प्राप्त होता है।
कोलॉइड- इस प्रकार के घोल में कणों के आकार 10-7 से 10-5 सेंटीमीटर तक होता है। जीवद्रव्य भी एक कोलॉइड है।
आयनेमाइड- रंगहीन क्रिस्टलीय अस्थायी यौगिक, जो उर्वरक के निर्माण में उपयोगी है।
डीडीटी- डाइक्लोरो डाइफेनिल ट्राइक्लोरो एथेन। एक रंगहीन चूर्ण, जो प्रबल कीटनाशक है।
निथारना- नीचे बैठे ठोस पदार्थ को छोड़कर ऊपर के स्वच्छ द्रव पृथक् करना।
विघटन- पदार्थ के एक घटक का तत्वों में अपघटन।
अपमार्जक- ऐलिफैटिक या ऐरोमैटिक सल्फेनिक अम्ल के सोडियम लवण, जिनमें साबुन की तरह मैल साफ करने का गुण होता है।
अपोहन- पार्चमेन्ट झिल्ली द्वारा कोलॉइडी विलयन से उसमें उपस्थित घुले हुए अशुद्ध पदार्थों को निष्कासित करना।
हीरा- शुद्ध कार्बन का कठोरतम अपररूप। इसका उपयोग कांच को काटने में किया जाता है।
अक्रिय गैसें- समूह 18 के अक्रिय गैसीय तत्व-हीलियम, निऑन, आर्गन, क्रिप्टॉन,जीनॉन तथा रैडॉन।
अगलनीय- पदार्थ जो कठिनाई से द्रवित हों।
अकाबनिक रसायन- इसके अन्तर्गत सभी तत्वों और उनके यौगिकों का अध्ययन किया जाता है (कार्बनिक यौगिकों को छोड़कर)।
कीटनाशी- यौगिक जो कीटों को नष्ट करें, जैसे- DDT, BHC आदि।
आयोडीन- ठोस हैलोजेन, जो रखने पर उर्ध्वपातित हो जाती है तथा जिसका उपयेाग पूतिरोधी के रूप में होता है।
समभारी- समान परमाणु द्रव्यमान परन्तु भिन्न परमाणु क्रमांक।
समावयव- जिन यौगिकों के अणुसूत्र समान होते हैं किन्तु गुण एवं संरचना भिन्न-भिन्न होती है।
समन्यूट्रॉनिक- वे परमाण्विक नाभिक, जिनमें न्यूट्रॉनों की संख्या बराबर होती है किन्तु उनकी द्रव्यमान संख्या भिन्न होती है।
समस्थानिक- समान परमाणु क्रमांक परन्तु भिन्न-भिन्न परमाणु द्रव्यमान।
केरोसीन आयल- कोल तथा पेट्रोलियम के प्रभाजी आसवन से प्राप्त होता है, जिसका उपयोग प्रदीपक, स्टोव के इंधन के रूप में होता हैं।
केओलिन- सफ़ेद महीन मिट्टी, जिसे चाइना क्ले व पोर्सेलेन कहा जाता है। यह खनिज केओलिनाइट Al4Si4O10(OH)8 की बनी होती है।
एल एम डी- लाइसर्जिक अम्ल डाइथाइलेमाइड- भ्रम उत्पन्न करने वाली ड्रग।
लैक्टिक अम्ल- खट्टे दूध में उपस्थित तथा लैक्टोस को जीवाणु किण्वन द्वारा प्राप्त।
लैक्टोस- दूध की शर्करा।
द्रव्यमान संरक्षण का नियम- रासायनिक अभिक्रियाओं में पदार्थों का कुल द्रव्यमान अपरिवर्तित रहता है।
ला-शातेलिए का नियम- यदि एक साम्य निकाय के किसी कारक, जैसे- ताप, दाब या सान्द्रण में परिवर्तन किया जाता है तो साम्य उस दिशा में विस्थापित होता है, जिधर उस परिवर्तन का प्रभाव निरस्त होता है।
लिग्नाइट- मृदु काला कोल का रूप।
मैग्नीशया- श्वेत, स्वादहीन चूर्ण, Mg(OH)2 जो आमाशय की अम्लता दूर करता है।
गलनांक- वह ताप जिस पर कोई ठोस पदार्थ द्रव में परिवर्तित हो जाए।
मेन्थोल- पिपरमेण्ट के तेल से प्राप्त।
मरकरी- चमकदार द्रव धातु।
मरकरी वाष्प लैम्प- एक गैस विसर्जन लैम्प जिसमें एक निर्वातित कांच की नली होती है। इसमें कुछ मरकरी होता है जो वाष्पित होकर विद्युत् विसर्जन में तीव्र प्रकाश देता है।
धातु प्रदूषक- कुछ भारी धातुएं जल में घुलकर उसे प्रदूषित करती हैं, जैसे- कैडमियम, लैड तथा मरकरी। Cd तथा Hg गुर्दों को नष्ट कर देते हैं। लैड गुर्दों, जिगर, मस्तिष्क तथा केन्द्रीय तन्त्रिका तन्त्र को प्रभावित करते हैं।
उपधातु- तत्वों का एक समूह जिनके गुणधर्म, धातुओं तथा अधातुओं के मध्य होते हैं। ये अर्धधातु तथा अर्धचालक होते हैं।
धातुकर्म- अयस्क से धातु प्राप्त करने में प्रयुक्त विभिन्न प्रक्रमों को सामूहिक रूप से धातुकर्म कहते हैं।
दूधिया चूना- जल में कैल्शियम हाइड्रॉक्साइड या जलयोजित चूने का निलम्बन।
दूधिया सल्फर- एक रंगहीन, गन्धहीन, हल्का अक्रिस्टलीय चूर्ण।
खनिज- धातु तथा उनके यौगिक पृथ्वी में जिस रूप में मिलते हैं, खनिज कहलाते हैं।
मिश्र धातु- एक स्वत: ज्वलनशील मिश्रधातु, जो सीरियम, आयरन, लैन्थेनम, नीऑडिमियम तथा अन्य विरल मृदा धातुओं से बनाई जाती है।
मोल– किसी पदार्थ की मात्रा, जिसमें उसके 6.02213× 10^23 कण उपस्थित होते हैं, पदार्थ का एक मोल कहलाती है।
अणु- किसी पदार्थ (तत्व या यौगिक) के सूक्ष्मतम कण, जो मुक्त अवस्था में रह सकते हैं तथा जिनमें उस पदार्थ के सभी गुण उपस्थित होते हैं, अणु कहलाते हैं।
नैफ्था- पेट्रोलियम, शेल ऑयल या कोलतार से प्राप्त कम अणु भार वाले हाइड्रोकार्बनों का मिश्रण।
नैफ्थेलीन- पॉलीन्यूक्लियर हाइड्रोकार्बन, जिसकी गोलियां कीटों को दूर करने में उपयोगी हैं।
प्राकृतिक गैस- पेट्रोलियम के साथ प्राकृतिक गैस भी उपस्थित होती है, जो पेट्रोलियम के पृष्ठ पर दाब डालती है। इसका उपयोग ईधन के रूप में किया जाता है।
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